भारत विविधताओं का देश है, जहां हर राज्य की अपनी अनोखी संस्कृति और परंपराएं हैं। दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक, Vishu 2025, केरल और उसके आसपास के क्षेत्रों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार मलयाली नव वर्ष का प्रतीक है और समृद्धि, शुभता और नई शुरुआत का संदेश देता है।
Vishu 2025 – क्या है विशु और इसका महत्व?
विशु मलयाली कैलेंडर के अनुसार “मेदम” मास के पहले दिन, यानी 15 अप्रैल को मनाया जाता है। यह त्योहार प्रकृति, कृषि, और परिवार के बीच सौहार्द्र का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, जो खगोलीय रूप से एक नई शुरुआत का संकेत देता है।
विशु को मुख्य रूप से केरल, तटीय कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को लोग अपने जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने के लिए शुभ मानते हैं।
विशु की खास परंपराएं और रीति-रिवाज
1. Vishu 2025 (Vishukkani) – शुभ दर्शन
विशु की सुबह सबसे पहले विशुक्कणी देखने की परंपरा होती है। यह एक विशेष आयोजन होता है, जिसमें देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने चावल, फल, फूल, दीपक, धातु के सिक्के और पवित्र ग्रंथ रखे जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि सुबह उठते ही यह शुभ दर्शन करना पूरे वर्ष के लिए सौभाग्यशाली होता है।
2. विशु साध्या (Vishu Sadhya) – पारंपरिक भोजन
विशु के दिन एक भव्य भोजन तैयार किया जाता है, जिसे विशु साध्या कहा जाता है। इस भोजन में चावल, पायसम, अवियल, केले के चिप्स, सांभर, और कई प्रकार की मिठाइयाँ शामिल होती हैं। यह विशेष भोज परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर खाया जाता है।
3. विशु कैनेट्टम (Vishu Kaineettam) – बड़ों का आशीर्वाद और दान
विशु के दिन परिवार के बुजुर्ग छोटे बच्चों को पैसे (विशु कैनेट्टम) और आशीर्वाद देते हैं। यह परंपरा समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति का प्रतीक मानी जाती है। बच्चे भी इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं, क्योंकि उन्हें अपने बड़ों से उपहार और पैसे मिलते हैं।
4. विशु पटाखे और उत्सव (Vishu Fireworks & Celebrations)
विशु के दिन लोग आतिशबाजी करते हैं और मंदिरों में जाकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिरों में विशेष भजन-कीर्तन और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
विशु क्यों मनाया जाता है?
विशु को भारतीय खगोलशास्त्र और कृषि से भी जोड़ा जाता है। यह दिन किसानों के लिए एक नए कृषि वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह परिवार के सदस्यों को एकजुट करता है और समाज में सामंजस्य स्थापित करता है।
विशु और भारतीय संस्कृति में इसका स्थान
भारत में नव वर्ष का स्वागत अलग-अलग राज्यों में विभिन्न रूपों में किया जाता है। जैसे कि पंजाब में बैसाखी, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, और बंगाल में पोइला बैशाख। इसी तरह, केरल में विशु का विशेष महत्व है, जो न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
Vishu: April 15 सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि नई ऊर्जा, समृद्धि और आशा का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल हमें हमारी संस्कृति से जोड़ता है बल्कि हमें यह सिखाता है कि हर नई शुरुआत को हमें सकारात्मक दृष्टिकोण से अपनाना चाहिए।
विशु के इस पावन पर्व पर आप और आपके परिवार को शुभकामनाएँ!
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